भारत-पाक मुकाबले से पहले खिलाड़ियों के बीच दूरी: खेल या राजनीति?

एशिया कप 2025 का सबसे बड़ा मुकाबला भारत और पाकिस्तान के बीच खेला जाएगा। लेकिन इस बार मैच से पहले ही विवाद और चर्चा शुरू हो चुकी है। रिपोर्ट के अनुसार, दुबई में अभ्यास के दौरान भारत और पाकिस्तान के खिलाड़ी एक-दूसरे से हाथ तक नहीं मिलाए। यह खबर सुनकर कई लोगों के मन में सवाल उठे कि क्या खेल को राजनीति से अलग रखना संभव है?
बताया जा रहा है कि दोनों टीमों के खिलाड़ी एक ही दिन अभ्यास कर रहे थे, लेकिन समय अलग-अलग था। भारतीय टीम पहले अभ्यास के लिए पहुँची और उसके बाद पाकिस्तानी टीम। इस वजह से दोनों टीमों के खिलाड़ियों की आमने-सामने मुलाकात ही नहीं हुई। मगर मीडिया में इसे इस तरह दिखाया गया जैसे दोनों टीमों ने जानबूझकर दूरी बनाई हो।
फिर भी, यह घटना उस तनाव की झलक जरूर देती है जो लंबे समय से दोनों देशों के बीच बना हुआ है। हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले ने माहौल को और गंभीर बना दिया। कई पूर्व खिलाड़ियों और प्रशंसकों ने यह तक कहा कि भारत को पाकिस्तान के खिलाफ मैच नहीं खेलना चाहिए। उनका कहना है कि जब देश की सीमाओं पर हमारे जवान शहादत दे रहे हैं, तब खेल खेलना सही नहीं है।
लेकिन दूसरी तरफ, क्रिकेट खेल केवल खेल नहीं है। यह दोनों देशों की जनता के बीच संवाद और जुड़ाव का भी माध्यम है। खेल के जरिए तनाव को कम करने का मौका मिलता है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने साफ किया है कि सरकार ने किसी भी बहुराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भाग लेने से रोक नहीं लगाई है। अगर भारत ऐसे मैचों से दूर रहेगा तो खेल संघों पर प्रतिबंध लग सकता है और खिलाड़ियों को नुकसान होगा।
खेल भावना में यह समझ जरूरी है कि प्रतिस्पर्धा और द्वेष अलग-अलग चीजें हैं। मैदान पर जीतने की कोशिश करें, लेकिन दिल में नफरत न रखें। खिलाड़ियों का हाथ मिलाना सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि आपसी सम्मान का प्रतीक है। हालांकि इस बार दोनों टीमों ने दूरी बनाई, लेकिन उम्मीद की जाती है कि भविष्य में खेल को राजनीति से ऊपर रखा जाएगा।
भारत-पाक मुकाबला सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों की भावनाओं का विषय है। दोनों देशों के फैंस खेल को लेकर बेहद उत्साहित रहते हैं। ऐसे में खिलाड़ियों को भी यह समझना चाहिए कि वे सिर्फ अपनी टीम का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहे, बल्कि लाखों दिलों की उम्मीद और भावनाएँ भी लेकर मैदान में उतरते हैं।
अंत में यही कहा जा सकता है कि खेल का उद्देश्य शांति, सौहार्द और प्रेरणा फैलाना है। यदि खेल को हथियार बनाकर विभाजन बढ़ाया जाएगा तो इसका नुकसान हम सबको होगा। समय आ गया है कि दोनों देशों के खिलाड़ी और प्रशंसक खेल को एक पुल बनाकर आगे बढ़ें।
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